Pig Kidney Transplant: अमेरिका ने निकाला ऑर्गन की कमी का तोड़, शुरू की पिग किडनी ट्रांसप्लांट की अनोखी पहल
Pig Kidney Transplant: अमेरिका में इंसानों पर सुअर की किडनी प्रत्यारोपण का पहला क्लिनिकल ट्रायल अब शुरू हो चुका है. जीन संपादित सुअर की किडनी तैयार करने वाली कंपनी यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स ने सोमवार को यह खबर दी. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के लैंगोन हेल्थ में पहला प्रत्यारोपण सफल रहा. यह कदम मानव अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकता है. इसमें जीनोटाइप वाली सुअर की किडनी का उपयोग हो रहा है. डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी की अगुवाई में यह ट्रायल चल रहा है. शुरुआत में छह मरीज इसमें शामिल होंगे. सफलता मिली तो इसे 50 मरीजों तक बढ़ाया जाएगा. मरीजों के नाम गुप्त रखे जा रहे हैं.

Pig Kidney Transplant की शुरुआत
यह ट्रायल फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी के बाद शुरू हुआ. मंजूरी से पहले कुछ मामलों में सुअर की किडनी का परीक्षण किया गया था. परिणाम मिश्रित रहे. उदाहरण के तौर पर अलबामा की एक महिला को लगाई गई किडनी 130 दिनों तक चली. न्यू हैम्पशायर के एक मरीज के मामले में यह 271 दिनों तक काम करती रही. इन परीक्षणों से डॉक्टरों को सीख मिल रही है. वे समझ रहे हैं कि मरीजों के शरीर में अंग कैसे लंबे समय तक टिके रहें. इम्यून सिस्टम (Immune System) की वजह से रिजेक्शन की समस्या को कैसे कम किया जाए.
अमेरिका में किडनी प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में 100,000 से अधिक लोग हैं. हर साल हजारों लोग इंतजार में मर जाते हैं. यह समस्या गंभीर है. वैज्ञानिक अब सुअर के अंगों को इंसानों के लिए ज्यादा उपयुक्त बना रहे हैं. वे जीन संपादन (Gene editing) की तकनीक से काम कर रहे हैं. इससे अंग इंसानी शरीर में आसानी से स्वीकार हो जाते हैं. इम्यून सिस्टम उन्हें जल्दी अस्वीकार नहीं करता.
अमेरिका में मनुष्यों पर सुअर की किडनी प्रत्यारोपण का पहला नैदानिक परीक्षण शुरू हो चुका है. जीन संपादित सुअरों की किडनी विकसित करने वाली कंपनी यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स ने सोमवार को यह खबर दी. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन हेल्थ केंद्र में यह परीक्षण चल रहा है. कंपनी इस परीक्षण में दस जीन संपादित किडनियों का उपयोग कर रही है. इन किडनियों में सुअर के कुछ जीनों को हटा दिया गया है. ये जीन शरीर में अस्वीकृति पैदा कर सकते हैं. या फिर अंग की तेजी से असामान्य वृद्धि का कारण बन सकते हैं. साथ ही मानव जीन जोड़कर संगतता को मजबूत बनाया गया है. इससे प्रत्यारोपण प्रक्रिया (transplant procedure) अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो जाती है.
यह तकनीक अंग प्रत्यारोपण की पुरानी समस्या को हल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. अमेरिका में हर साल हजारों मरीज किडनी की प्रतीक्षा सूची में मर जाते हैं. राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, लगभग एक लाख लोग किडनी प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं. सुअरों के अंगों का उपयोग लंबे समय से विचार में रहा है. लेकिन पहले अस्वीकृति और संक्रमण (Rejection and infection) की चिंताएं थीं. जीन संपादन तकनीक, जैसे सीआरआईएसपीआर, ने इन बाधाओं को कम किया है. यह तरीका सुअर के डीएनए को बदलकर मानव शरीर के साथ बेहतर तालमेल पैदा करता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सफलता भविष्य में क्रांति ला सकती है. डॉक्टर रॉबर्ट मॉन्टगोमरी, जो लैंगोन हेल्थ में प्रत्यारोपण सर्जन हैं, ने कहा कि इससे अंगों की कमी दूर हो सकती है. लाखों मरीजों को नई जिंदगी मिलने की उम्मीद है. फिर भी, वैज्ञानिकों को और अधिक परीक्षण करने की जरूरत है. शुरुआती परिणाम (Early results) उत्साहजनक दिख रहे हैं. कोई बड़ा रिजेक्शन या जटिलता नहीं देखी गई. यह क्षेत्र तेज गति से प्रगति कर रहा है. आने वाले वर्षों में और परीक्षण होंगे. इससे मानव चिकित्सा में नई संभावनाएं खुलेंगी.



