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Power cut: लासिया से खंडवा रोड तक छाएगा अंधेरा, इंदिरा सागर प्रोजेक्ट की टेस्टिंग में रुकेगी बिजली सप्लाई

Power cut: इंदौर के पूर्वी इलाकों में 300 से ज्यादा कॉलोनियां प्रभावित होंगी. इनमें पलासिया, तिलक नगर, पलाड़ा और खंडवा रोड जैसी जगहें शामिल हैं. यहां चार घंटे तक बिजली की सप्लाई पूरी तरह बंद रहेगी. यह कदम इंदौर को बिजली देने वाले इंदिरा सागर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़ा है. इंदिरा सागर नर्मदा नदी पर बना एक बड़ा बांध है. यह प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश को भारी मात्रा में बिजली देता है.

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भारतीय बिजली संहिता के धारा 34 के तहत बिजली उत्पादन विभाग एक मॉक ड्रिल कर रहा है. मॉक ड्रिल क्या है? यह एक अभ्यास होता है. इसमें आपात स्थिति से निपटने की तैयारी की जांच की जाती है. जैसे अगर कोई बड़ा पावर फेलियर हो जाए तो टीम कैसे काम करेगी. यह ड्रिल शहर की सुरक्षा के लिए जरूरी है. बिजली बंदी (Power cut) सुबह 11:30 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक चलेगी. इस दौरान लोग घरों में रोशनी या उपकरण न चला सकेंगे.

प्रभावित इलाकों में बिचौली मर्दाना, महावीर नगर, तिलक नगर, पलासिया, पलाड़ा, भंवरकुआं चौराहा, खंडवा रोड, रानीबाग और बिलावल आते हैं. इनके आसपास के क्षेत्र भी शामिल होंगे. ये इलाके इंदौर के व्यस्त हिस्से हैं. यहां दुकानें, स्कूल और घर सब हैं. बिजली बंद होने से दैनिक काम (daily work) प्रभावित हो सकते हैं. जैसे फ्रिज में रखी चीजें खराब न हो इसके लिए लोग पहले से योजना बना लें.

मॉक ड्रिल में ट्रांसमिशन, सप्लाई और उत्पादन की पूरी जांच होगी. ट्रांसमिशन का मतलब है बिजली को दूर तक पहुंचाना. सप्लाई घरों तक बिजली पहुंचाने का काम है. उत्पादन बिजली बनाने की प्रक्रिया है. यह टेस्टिंग सुनिश्चित करेगी कि सब कुछ ठीक काम करे. बिजली वितरण कंपनी ने SMS से लोगों को सूचना भेजी है. इससे सबको पहले से पता चल गया.

दो महीने पहले भी ऐसी ही एक ड्रिल 440 केवी सबस्टेशन पर हुई थी. वहां भी सभी टेस्ट किए गए थे. इस ड्रिल के बाद भी बिजली जल्द बहाल हो गई थी. अब इस बार भी यही होगा. ड्रिल खत्म होते ही सामान्य सप्लाई शुरू हो जाएगी. ध्यान दें कि इंदिरा सागर से 1000 मेगावाट बिजली पैदा होती है. यह राज्य के सबसे बड़े शहर इंदौर सहित पूरे मध्य प्रदेश को 2.7 अरब यूनिट (2.7 billion units) बिजली मुहैया कराती है. इतनी बिजली लाखों घरों और फैक्टरियों को चलाती है. यह प्रोजेक्ट राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाता है.

ऐसी ड्रिल अभ्यास से बिजली की पूरी व्यवस्था और मजबूत बन जाती है. ये अभ्यास बिजली कंपनी को संभावित खराबी (Possible malfunctions) को जल्दी पकड़ने में मदद करते हैं. उदाहरण के लिए, अगर कहीं तार टूट जाए या ट्रांसफॉर्मर खराब हो जाए, तो टीम तुरंत ठीक कर सके. इससे आम लोगों को लंबे समय तक अंधेरे में न रहना पड़े.

कंपनी जानती है कि बिजली बंद होने पर लोग कितना परेशान होते हैं. इसलिए उन्होंने पहले ही समय बता दिया है. इस तरह सब तैयार रहेंगे. रात के समय या व्यस्त घंटों में बंदी न हो, यही सोचकर वे प्लान बनाते हैं. अगर कोई अचानक बंदी हो गई, तो लोग चाय-नाश्ता या काम रुक जाने से चिढ़ सकते हैं. लेकिन पहले सूचना मिलने से वे बैकअप प्लान (backup plan) बना लें.

गर्मी के दिनों में ये अभ्यास थोड़े कठिन लग सकते हैं. बाहर तपिश तेज होती है. घर में कूलर या पंखा बंद हो जाए, तो पसीना बहने लगता है. बच्चे और बूढ़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. फिर भी, ये कदम सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं. बिना अभ्यास के असली समस्या आने पर बड़ा नुकसान हो सकता है. जैसे, आग लगने या मशीनरी फेल होने का खतरा. विशेषज्ञ कहते हैं कि नियमित ड्रिल (Regular drill) से सिस्टम 20-30 प्रतिशत ज्यादा विश्वसनीय हो जाता है.

तो, थोड़ी असुविधा सहन करके हम सब सुरक्षित रहें. कंपनी का ये प्रयास ही बिजली को सुचारू रखता है.

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