Health Tips: जानें, 8 घंटे से ज्यादा रखा तांबे का पानी क्यों बन जाता है खतरनाक…
Health Tips: सदियों से भारतीय परंपरा में तांबे के बर्तन में पानी पीना एक स्वस्थ और प्राकृतिक आदत मानी जाती रही है. प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार, तांबे के बर्तन में रखा पानी, जिसे ‘ताम्र जल’ कहा जाता है, शरीर से विषैले तत्वों को निकालने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. माना जाता है कि यह पानी न केवल शुद्ध होता है बल्कि इसमें मौजूद सूक्ष्म तत्व शरीर की कई आवश्यक प्रक्रियाओं में सहायक भूमिका निभाते हैं.

हालांकि आधुनिक जीवनशैली और आहार में पहले से ही पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद होते हैं, इसलिए यह समझना आवश्यक है कि तांबे का पानी कब और कितनी मात्रा में पीना फायदेमंद है. जानें आवश्यक Health Tips.
तांबा: एक आवश्यक पोषक तत्व
तांबा हमारे शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट है. यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण, आयरन के अवशोषण, और तंत्रिका तंत्र के सुचारू संचालन में अहम भूमिका निभाता है. वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 0.9 मिलीग्राम तांबे की आवश्यकता होती है, जो सामान्य आहार जैसे दाल, अनाज, मेवे और हरी सब्जियों से पूरी हो जाती है.
जब हम अतिरिक्त रूप से तांबे के बर्तन का पानी लगातार पीते हैं, तो शरीर में इसकी मात्रा आवश्यकता से अधिक हो सकती है. इस स्थिति को कॉपर टॉक्सिसिटी कहा जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है.
अधिक तांबा लेने के दुष्प्रभाव
जरूरत से ज्यादा तांबा शरीर में जाने पर इसके दुष्प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. शुरुआती लक्षणों में मितली, पेट दर्द, सिरदर्द और थकान शामिल हैं. अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो तांबे की अधिकता शरीर के अंगों—विशेष रूप से लिवर—पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. शोध बताते हैं कि लगातार अधिक मात्रा में तांबा लेने से लिवर डैमेज और किडनी संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.
बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी
बच्चों और गर्भवती महिलाओं को तांबे के बर्तन का पानी बहुत सोच-समझकर देना चाहिए. इस अवस्था में शरीर की पोषण संबंधी आवश्यकताएं अलग होती हैं, और अत्यधिक तांबा नुकसानदेह साबित हो सकता है. इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना नियमित रूप से तांबे के बर्तन का पानी पीना उचित नहीं है.
ताम्र जल पीने का सही तरीका
तांबे के बर्तन का पानी पीने के फायदों को पाने के लिए एक संतुलित तरीका अपनाना जरूरी है. बर्तन को साफ और सूखा रखें ताकि उस पर ऑक्सीडेशन की परत न जमे. रात में साफ पानी को तांबे के बर्तन में भरकर रखें और सुबह खाली पेट लगभग 6–8 घंटे बाद वह पानी पीएं.
दिनभर के बाकी समय सामान्य गिलास, मिट्टी या स्टील के बर्तन का पानी पीना बेहतर रहता है. इस तरह आप तांबे के सभी फायदों को पा सकते हैं बिना इसके दुष्प्रभावों का खतरा उठाए.
तांबे के बर्तन का रखरखाव
तांबे के बर्तन को नियमित रूप से नींबू और नमक या सिरके से साफ करते रहना चाहिए. इससे बर्तन की चमक बनी रहती है और उसमें बैक्टीरिया जमा नहीं होते. पुराने या जंग लगे बर्तन में पानी कभी नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे उसमें हानिकारक तत्व मिल सकते हैं. ये Health Tips आपके शरीर



